बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. रामकृष्ण राजपूत का जन्म 02 अप्रैल 1945 को फर्रूखाबाद में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती नन्हीं देवी तथा पिता का नाम स्व0 मिट्ठूलाल राजपूत है। आपने हिन्दी, राजनीतिशास्त्र एवं अर्थशास्त्र से स्नातक करने के बाद 1967 में बी.एड. तथा 1970 में साहित्य रत्न की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। इसके बाद वर्ष 1986 में आपने आगरा विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. तथा वर्ष 2000 में कानपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट. की उपाधि प्राप्त कीं।
कविता, इतिहास, पुरातत्व, पत्रकारिता, दलित साहित्य एवं शोध परक साहित्य में समान गति रखने वाले डॉ. राजपूत ने वर्ष 1967 से 1971 तक प्रधानाचार्य तथा 1971 से 1978 तक प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं अर्पित कीं तथा वर्ष 1971 से 2005 तक शिक्षा विभाग में राजपत्रित अधिकारी के रूप में सेवारत रहे।
आप साहित्य के साथ-साथ समाज सेवा से भी सम्बद्ध रहे हैं तथा सक्रिय जीवन जीने के लिए जाने जाते हैं। आप फर्रूखाबाद महोत्सव (जिला प्रशासन द्वारा संचालित) समिति के अध्यक्ष, प्रज्ञा साहित्य परिषद, फर्रूखाबाद के निदेशक, भारतीय दलित साहित्य शोध संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय दलित साहित्य अकादमी के प्रदेश महामंत्री, अहिच्छत्रा इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान के महासचिव, डॉ. रामकृष्ण राजपूत संग्रहालय, फर्रूखाबाद के संरक्षक के साथ-साथ एक दर्जन से अधिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य के रूप में अपना योगदान देते रहे हैं।
तीन दर्जन पुस्तकों के लेखक एवं विभिन्न महत्वपूर्ण पत्रिकाओं के सम्पादक डॉ. राजूपत को पांच दर्जन से अधिक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार का यशभारती सममान तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का अवंतीबाई सम्मान प्रमुख हैं।